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Showing posts from August 26, 2009

आवारगी

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  आवारगी; पर लिखने का मन है, आज, माफ़ करियेगा.मुझे 'आवारा' शब्द से इतनी ज्यादा नफ़रत रही है, कि मेरे पापाजी को जब मुझसे अधिकतम विरोध जताना होता है, तो वे इसी शब्द का प्रयोग करते हैं. और वे जानते हैं, कि मै तिलमिला पडूंगा.. .पर मै कैसे यकीन दिलाऊ कि मुझे 'आवारगी' से उतना ही प्यार है. मुझे दोनों शब्दों में लगातार फर्क महसूस हुआ, इस हद तक कि मुझे लगता है, कि हर जिंदादिल आवारगी के रंग में ढला होता है.....आवारगी, मतलब खुल पड़ना, दौड़ पड़ना..स्वाभाविकता कि तरफ, बन्धनों की तरफ बागी होना, सच्ची में साँस लेना, पत्तियों को स्पर्श करना, डंठल को छेड़ना, दूब की नोंक ..हथेली में महसूसना..हवा में सरसराना..बाहें फैलाकर उड़ना, अपने में आकाश भर लेना, नन्ही-कोमल बातों पर खिल पड़ना, खुली आँखों से खो जाना....,...., आवारगी इतनी आसान नहीं.. .... यदि आप चाहते है कुछ मौलिक..तो आवारगी अपनाइए :) ".. बहुत मुश्किल है, बंजारा मिजाजी सलीका चाहिए आवारगी में...." यदि आप चाहते है कुछ मौलिक..तो आवारगी अपनाइए. रूसो की जिंदगी क्या विचारक की रही..Noble savage कहा गया उसे . क्