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Showing posts from September 5, 2009

तुम....?

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मै बुलाता हूँ तुम्हे, हहाकर मिलता हूँ,   भर लेता हूँ, तुम्हे बाँहों में.   तुम अपनी एक फीकी हंसी में  रंग भरने का प्रयास करते हो.   जूझती जिंदगी में अचानक मिली ,   तुम्हारी जीत पर नाचता हूँ,   और करता हूँ, तुम्हारी ताली की प्रतीक्षा.   मुझे खुश-मिजाज कहते हैं, लोग   क्या मुझे, फड़कता आलिंगन और ताली नहीं चाहिए.....?   मर जाऊँगा एक दिन, तब तुम..   औपचारिक आगमन में ,   मुझे ये श्रद्धांजलि दोगे:   " बड़ी गर्मजोशी से मिलता था.."   मेरी मरी हड्डियों में , फिर एक सिहरन होगी..... !!! #श्रीश पाठक प्रखर चित्र: गूगल इमेज से -http://blog.cold-comfort.org/wp-content/uploads/2009/06/shake-hands.jpg