तुम....?
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मै बुलाता हूँ तुम्हे, हहाकर मिलता हूँ, भर लेता हूँ, तुम्हे बाँहों में. तुम अपनी एक फीकी हंसी में रंग भरने का प्रयास करते हो. जूझती जिंदगी में अचानक मिली , तुम्हारी जीत पर नाचता हूँ, और करता हूँ, तुम्हारी ताली की प्रतीक्षा. मुझे खुश-मिजाज कहते हैं, लोग क्या मुझे, फड़कता आलिंगन और ताली नहीं चाहिए.....? मर जाऊँगा एक दिन, तब तुम.. औपचारिक आगमन में , मुझे ये श्रद्धांजलि दोगे: " बड़ी गर्मजोशी से मिलता था.." मेरी मरी हड्डियों में , फिर एक सिहरन होगी..... !!! #श्रीश पाठक प्रखर चित्र: गूगल इमेज से -http://blog.cold-comfort.org/wp-content/uploads/2009/06/shake-hands.jpg