कल दिन भर एक कहानी में

कल रात लिख नहीं पाया. दर असल कल दिन भर एक कहानी में लगा रहा. कहानी तो एक घंटे में ही पूरी हो गयी थी पर दिन भर उसकी खुमारी में रहा. स्वयं क्या मूल्यांकन कर सकूंगा उस कहानी का पर फिर भी पहली बार मै कहानी पूरी कर पाया. कई बार मैंने कई कहानी शुरू किये लिखना, पर एक-दो पेज के बाद लगता, कि जिस टोपिक के टारगेट को हिट करना चाह रहा हूँ, उसके लिए जरूरी अनुभव मिस कर रहा हूँ और कहानी अधूरी रह जाती. पहली बार बस बैठा, और एक रौ में लिख डाला. जाने कैसा लिखा, पर मेरे लिए ये महत्वपूर्ण है कि मै कोई कहानी पूरी कर सका, पहली बार. क्योंकि कहानी लिखना मुझे बहुत टफ लगता है. कविता अपने शिल्प के दरम्यान आपको मौका देती है कि आप पाठक के लिए खुद ही वातावरण सृजित करने दे, किन्तु कहानी में माहौल आपको ही निर्मित करना होता है. यहाँ तक कि पात्रों के नामों का चयन भी महत्वपूर्ण हो जाता है. ऐसा नहीं एक जैसी-तैसी कहानी लिख लेने के बाद मै कहानी लिखने की सैद्धांतिक विधि व मर्यादाएं निर्धारित करना चाह रहा हूँ, दर असल ये चुनौतियाँ मुझे आती हैं, जब भी मै कहानी लिखना चाहता हूँ. मैंने कल जो कहानी लिखी, उसका शीर्षक रखा 'उन्म