Posts

Showing posts from October 15, 2009

"सर्वत्र" से संवाद

Image
JNU में राजनीतिक जागरूकता जबरदस्त है, ऐसा शायद ही भारत में किसी और कैम्पस में हो...तो इसमे खास बात क्या है..? खास ये है कि यहाँ आपको अपने व्यक्तिगत राजनीतिक अधिकारों के लिए जरूरी नहीं कि आप किसी खास ग्रुप से हों, परंपरा से यह विकसित हो गया है और मै इसे करीब से देख रहा हूँ. पर एक दूसरी बात जो मुझे बेहद पीड़ा पहुँचती है वो ये कि जो छात्र-संगठन यहाँ राजनीति करते हैं वो अक्सर असली मुद्दों को गड्ड--मड्ड कर देते हैं ठीक राष्ट्रीय राजनीतिक दलों की तरह. कैम्पस अंतर्राष्ट्रीय मामलों की तरफ बहुत संवेदनशील है (कम से कम चर्चा,पम्फलेट के स्तर पर), पर कई बार स्थानीय व राष्ट्रिय मुद्दे दरकिनार कर देते हैं. इसी प्रवृत्ति पर चुटकी लेते हुए, मेरे एक मित्र ने कहा कि- " people who are talking about America they don't know what is happening in Munirika.." मुनिरिका, JNU के पास की एक मार्केट है. खैर; अब पाउलो कोएलो की बात करते हैं. अल्केमिस्ट की कहानी कुल पांच से छः पेज में आ सकती है. पर कहानी कहना ही उद्देश्य नहीं लेखक का. लेखक को पाठक से आत्मिक संवाद करना है. ALCHEMIST--पूरी पुस्तक बोल के

दीया, तुम जलना..

Image
दीवाली पर अभी तुरत लिखी एक छोटी कविता. जो जीवन देकर उजाला देता है, उससे की मैंने विनती. ... दीया, तुम जलना..   अंतरतम का मालिन्य मिटाना  विद्युत-स्फूर्त ले आना.   दीया, तुम जलना.   जलना तुम मंदिर-मंदिर  हर गांव नगर में जलना  ऊंच-नीच का भेद ना करना  हर चौखट तुम जलना   बूढ़ी आँखों में तुम जलना  उलझी रातों में तुम जलना  अवसाद मिटाना हर चहरे का  हर आँगन तुम खिलना   दिया तुम जलना   चित्र साभार: गूगल #श्रीश पाठक प्रखर