अब, जबकि..!
सोचा, आज उस पर एक कविता लिखूंगा, पर.....कैसे..? जबकि, मेरे दिमाग में केवल तुम हो, कविता के लिए शब्द कैसे खोजूं ..? जबकि, मेरे दिल में सिर्फ तुम्हारा रंग छाया है कविता को कोई और रंग कैसे दे दूं..? जबकि मेरे तन-मन में तुम्हारा ही संगीत समाया है कविता को कोई और लय कैसे दे दूं..? अब, जबकि, मैंने जीवन में बस तुम्हारा ही प्यार बसाया है, कविता को कोई और विषय कैसे दे दूं..? #श्रीश पाठक प्रखर चित्र साभार:गूगल