यदि हर राज्य की शिक्षा प्रणाली में एक स्तर पर मौलिक समानता होती..कई जरूरी विभिन्नताओं के साथ तो...
आज सोचा कुछ कैम्पस-चर्चा हो जाए. JNU की प्रवेश परीक्षा प्रणाली बड़ी अलहदा है. लगभग हर स्कूल के हर सेंटर की थोड़ी अलग-अलग. देश भर में और कुछ देश से बाहर भी इसके सेंटर बनाये गए हैं जहाँ प्रवेश परीक्षाएं एक साथ एक ही समय में लीं जाती हैं. एक खास आकर्षक अनुशासन के साथ यह परीक्षाएं संपन्न हो जाती हैं. अगले दो से तीन महीनों में परिणाम आ जाता है. साक्षात्कार होता है और उत्तीर्ण अभ्यर्थी चयनित हो जाता है. यह विवरण देना मेरा मंतव्य नहीं. मै तो इसके आगे की कहना चाहता हूँ. विद्यार्थी आता है. एक नया और जोशीला माहौल मिलता है. धीरे-धीरे वो यहाँ रमने लग जाता है. छोटी-मोटी परेशानियाँ आती हैं, विद्यार्थी जूझता है, इस दरम्यां कुछ बेहतरीन चीजें वो सीख लेता है. एक बात तो तय ढंग से कही जा सकती है कि कुछ समय बाद वह वैसा नहीं रह जाता, जैसा कि वह प्रवेश के समय में होता है. मानसिक आयामों में वृद्धि तो होती ही है वरन अपने अनुभव से कह सकता हूँ कि भोजन व दिनचर्या की संगतता के कारण शारीरिक विन्यास भी खिल उठता है. अचानक से ही उसकी रोजाना की चर्चाएँ क्षेत्रीय से राष्ट्रीय होते-होते अंतर्राष्ट्रीय होने लग जाती हैं.