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तुमसे...!!!

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सुबह एक अनगढ़ गजल सी रचना डाल थी, मैंने.."अब सवाल ज्यादा सुकून देते हैं.." उस वक़्त भी जानता था कि इसमे ठीक-ठाक कमियां हैं..आदरणीय गिरिजेश राव साहब ने एक मीठी झिड़की दी मेल पर और फिर उसी रचना को अपने यत्न भर फिरसे गढ़ने बैठ गया. बड़े भाई श्री अमरेन्द्र जी की सम्मति ली और इसे एक नए पोस्ट के रूप में फिर से डाल रहा हूँ. इस बार शीर्षक भी बदल दिया है... तुमसे...!!! १. तेरे सवाल अब ज्यादा सुकून देते हैं.  दहकते शोलों से ज्यादा जुनून देते हैं. २.सुब्ह-ए-वक़्त में मिलते हो ग़मज़दा होकर.       तेरे  अंदाज  भी  गैरों  का  यकीं  देते  हैं. ३.मुझे खुशियों में भी बेशक हंसा ना पाते हो.       तुम्हारे कह-कहे आँखों को नमी देते हैं. ४.तुम अँधेरा भी नहीं दे सके सोने के लिए.      ख्वाब तनहाइयों के हैं जो जमीं देते हैं. ५. भले खफा हो पर अंदाज कनखियों के तेरे.        कुछ न देकर भी मुझे यार, बहोत देते हैं. #श्रीश पाठक प्रखर  चि त्र साभार:गूगल