माँ

सच है माँ के कर्तव्य कभी ख़तम नहीं होते.. ! डा. अनुराग जी की पोस्ट यथार्थ का क्रास वेरिफिकेशन पढ़ते हुए एक बेहद अच्छी कविता याद आ गयी जो मैंने कभी कादम्बिनी में पढी थी और जिसे राहुल राजेश जी ने लिखा है.आज वही आप सभी के समक्ष रख रहा हूँ...!!! माँ "जहाँ ठहर जाए वहीं घर.. जिसे छू ले वही तुलसी.. जिसे पुकार दे वही बेटा.. जब जागे तब बिहान.. जब पूजे तब नदी.. जब निरखे तब समुद्र.." चित्र साभार :गूगल