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जिंदगी के मायने

"जब एक एक कर गिर रहे हों  उम्मीदों के मकां  जब टूट रहे हों अरसों से सजाये सपने  जब ख्वाहिशों के घरौदें  साबित हों रेत से और ढहने लगें कशमकश की  लहरों से .  जब मासूम अँगुलियों के पोर फिसलने लगे उनकी दिलकश  हथेलियों की पकड़ से और  छूटने लगे सारे एहसासों की  छुअन उनके दामन से . जब बाते विसाल की महक जाती रहे  और आंसूओं की बारिश से नज़र  उनकी खारी ना हो ... उस ज़ालिम वक़्त में ऐ मेरे प्यारे दोस्त... जिंदगी के मायने ना समझाना...!!! "                                     -श्रीश पाठक 'प्रखर'