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Showing posts from December 15, 2012

एक मानसिक कलोलबाजी

च....च...अरे नहीं, रिश्ते, उम्र की तरह नही होते, कुछ समझदार-मैच्योर लोग समझते हैं कि हर रिश्तों की उम्र होती है। उन्हें किसी भी नाजुक रिश्तों को टूटना, सिमटना या फिर बिखरना किसी वैज्ञानिक प्रक्रिया के मानिंद, सामान्य लगता है...उन्हें नहीं पता शायद रिश्तों की अन्यान्य प्रक्रिया फिर वैसे ही कभी भी दुहराई नहीं जा सकती और उसकी ऊष्मा किसी जार विशेष में किसी खास केमिकल के साथ संरक्षित भी नहीं की जा सकती। (...एक मानसिक कलोलबाजी...:)   ) #श्रीशउवाच