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Showing posts from 2013

वातानुकूलित बौद्धिकों के सैद्धांतिक तर्क

....आज लगभग हर अखबार में आपको ऐसे वातानुकूलित बौद्धिकों की सैद्धांतिक तर्क-आयोजनों की भरमार मिल जायेगी, जो उन्होंने  #AAP के ऐतिहासिक सफलता के पक्ष में रखे होंगे. ध्यान दीजिये, ये वही लोग है जो दो दिन पहले तक #AAP के अस्तित्व तक से परहेज करते थे. अख़बारों में, टीवी की बहसों में उन्हें कांग्रेस-भाजपा के आगे कुछ सूझता नहीं था. (इसमें टीवी एंकरों को तो जाने दीजिये- उन्हें तो रंग बदलते दिख जाने की मजबूरी से भी गुजरना ही पड़ता है). इनके आतंक से ही "आम आदमी" अपनी "खासियत" भूल जाता है.  इसमें से कई नामी पत्रकार-संपादक लोग भी हैं, जिन्होंने मौसम को भांपते हुए यहाँ फेसबुक पे भी कुछ यों स्टेटस लिखा-"कम से कम मै तो कही रहा था",.....! ये वे लोग हैं, जिन्हें पहले हुई सभी क्रांतियाँ महान लगती हैं, और उसके अनगिन कारण भी वे गिनाते हैं. इन्हें सामने का कुछ नज़र नहीं आता. ये वे लोग हैं जिन्हें लोकतंत्र की मजबूतियों से ज्यादा उसकी कमजोरियों में अखंड विश्वास है. ये खाए-पीये-अघाए लोग जाने कितनी ही ऐसी क्रांतियों की ऐसे ही भ्रूण-ह्त्या कर देते हैं..दिनों-दिन अपने कुतर्कों से. क्या

#सचिन

.....We really miss u,  ‪#‎ Sachin‬ . Undoubtedly, you are a great person and fantastic human being on/off the field. The more you mounted above, you have maintained more discipline, decency, dignity and nobility. You are really living legend and above in the list of maestros of every field, an iconic ideal to get immense inspiration and lead life more meaningfully. I am lucky to belong the generation in which I have seen you in action. For you, nation is above from all the thin gs and in this way you have played a greater role to integrate our nation into one spirit. Bharat Ratna Sachin Ramesh Tendulkar...! Thanks to GOI. What a timing…! It’s ok; after all, politics and batting is all about timing.. smile emoticon   Hopefully, government would recognize some more people who deserve Bharat Ratna equally in sport and many more field.

ओ नियतिवादी...!

कोशिश में जब तक रहती है, कशिश सपनों में तभी तक रहती है, तपिश भी. सोना जरूरी है जागने जितना ही, ताकि मिलता रहे खाद-पानी आगे और खटने को, जमकर जूझने को, और भर आँख देखने को फिर नए सपने. सदियों से खेले जा रहे हैं वही नाटक नाटक की कहानी जानता है कलाकार रटे हुए संवाद ही दुहराने होंगे फिर भी उसे लगाना होता है अपना सर्वस्व ताकि जीवंत लगे उसकी भूमिका. ओ नियतिवादी...! तुझे समझना होगा कि परिणाम का कोई अर्थ नहीं है, अर्थवत्ता है तो केवल भूमिका की; क्योंकि इस सनातन सतत नाटक में कसौटी पर, कहानी से ज्यादा भूमिका को जांचा जायेगा..! #श्रीश पाठक प्रखर 

Some worth pursuing good thoughts

"मानने लायक कुछ बहुत अच्छी बातों में सबसे बड़ा नुक्स ये होता है कि वे देखने, सुनने, समझने में बड़ी साधारण लगती हैं...! ” "Some worth pursuing good thoughts have a great lacuna that they seem so simple to eye, ear and mind.” #श्रीश प्रखर 

तुम...! आदमी अच्छे नहीं...

तुम...! आदमी अच्छे नहीं हो, अच्छी कविता कैसे लिख सकोगे....? ‪#‎ श्रीशउवाच‬

दोस्त.....!

दोस्त सुशील के वर्षगाँठ पर मेरी ये भेंट : दोस्त.....! जाने कितने  भरे-पूरे-अधूरे  ख्वाब देखे हमने  साथ-साथ,  मंज़िल दर मंज़िल जाने कितनी काट दीं रातें हमने करके बातें,इस जहां से उस जहां की, महक दर महक जाने कितनों को थमा दी तुमने उलफत की मशाल, उमर दर उमर अब ठहर कर क्षण भर देख लो खुद को मुकम्मल ख़रच ना हो जाओ, बेईमान दुनिया की खातिर सांस दर सांस क्योंकि चाहता हूँ मै बंशी, कृष्नेत की गूँजें चौखट दर चौखट मंदिर दर मंदिर और हाँ, इश्क़ दर इश्क़ भी।

JNU स्कूल नही, विश्व विद्यालय है ..!

कौन समझाए, यह विश्व विद्यालय है स्कूल नही है कि यहाँ कुछ घोंट के पिलाया-पढाया जाए....एक सच्चे अर्थों का लोकतंत्र है...हर तरह की विचारधारा के लिए जगह है, हाँ, ये अलग बात है, कि मीडिया सनसनी की खातिर केवल ऑफ़ बीट ख़बरों को प्रमुखता देती है....हूँ तो मै यहाँ सात साल से. मुझसे किसी ने नहीं कहा कि ये करो और ये मत करो....ए बी वी पी और एन एस यू आई की भी यहाँ उतनी ही हलचल है जितनी वाम पंथी संगठनों की....! हाँ, एक बात साफ़ कर दूँ, यहाँ कैम्पस में चुनाव वो मार्क्सवाद से नहीं जीतते हैं, अपने साल भर की मेहनत से जीतते है, अपनी सांगठनिक क्षमता से जीतते हैं, यहीं राइट विंग के संगठन मात खा जाते हैं, इसका मतलब ये नही कि किसी विचार धारा की हार-जीत हो जाती है. ...! मै हूँ बिलकुल दिल से राईट विंग का पर मुझे जे एन यू से प्यार है, क्योंकि मै जानता हूँ...यहाँ सच्चे अर्थों में लोकतंत्र है....! #श्रीशउवाच ("in response of a person who doesn't like JNU on illogical basis.")

श्रीश की श्रीश से एक बात-चीत

श्रीश की श्रीश से एक बात-चीत कुछ यों हुई.....!  (बात पुरानी है, पर यहाँ रखने का मन हुआ) "यार बुद्धिमान तो सब कुछ साक्षी भाव से लेते हैं। क्या खुश होना, क्या दुखी होना। अच्छा, तुम बताओ क्या चाहते हो....?" "चाहता हूँ, भौतिक जगत में भी सब ठीक ठीक कर लूँ, मेहनत करूँ, उपलब्धियां मिलें, लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरूँ, लोगों के काम आ सकूँ। और फिर राम जी का भी प्यार पा लूँ....." "पहले क्या पाना चाहते हो, बाद में क्या पाना चाहते हो...?" पहले  माँ, बाप, परिवार, देश, समाज के लिए कुछ करना चाहता हूँ....उनके लिए फर्ज़ बनता है, मेरा..., फिर खुद को राम जी के चरणों में समर्पित करना चाहता हूँ। " "तो एक बार में एक काम निपटाना चाहते हो...पर ऐसा नहीं होता....! यही तो ज़िंदगी है....इसे आसान क्यूँ चाहते हो....ये क्यूँ आसान रहे.....सब तुम्हारी ईच्छा क्रम से अगर अनुक्रमित हो जाए तो तुम्हारे लिए इस ज़िंदगी में चुनौतियाँ क्या होंगी......? "क्यूँ सब कुछ आसान ना हो....? चुनौतियाँ जरूरी क्यूँ हैं....मै किसी चीज से भागने के लिए थोड़ी कह रहा हूँ...करना तो सब ही चाहता हूँ....!

कमबख्त सच

कमबख्त सच कमबख्त सच को सीढ़ियों सा सरपट होना था। कि कोई भी कदम दर कदम चढ़ते हुए यथार्थ की सपाट छत पर पहुँचता...। पर मुआ हुआ गोल प्याज सा छीलो, उघाड़ो हर परत हाथ कुछ ना आता। दरम्यां हथेली पे ही सूख जाते इकलौते आँसू, जाने और क्या कहना था। (श्रीश पाठक प्रखर ) #श्रीशउवाच 

दिशाहीन हो भटकना भी .....कुछ अर्थ लिए होता है।

मुझे जीवन में एक पग भी चलना निरर्थक नहीं लगता। दिशाहीन हो भटकना भी .....कुछ अर्थ लिए होता है। अनुभव से कह सकता हूँ, जिसे लोग गलतियाँ कह देते हैं ....गहरे में जानता हूँ उन्हीं से मुझे ताकत भी मिलती रही है। मै ये जानता हूँ, जो फैसले लिए जा चुके हैं.....वे गलत नहीं हो सकते है....नज़रिये की बात है......हाँ, थोड़ा बाद में समझ आता है....! जो बीत गया, उसे कोसना स्वयं को और भी कमजोर करना है....आज, अभी जो है....क्या वो उपलब्धि नहीं है....और जो कुछ भी है अभी उसे पाने में यदि आप सोचते हैं केवल सही निर्णयों का योगदान है तो यकीनन आप पक्षपाती हो रहे हैं....!  व्यतीत-अतीत उपलब्धि ही है....वर्तमान, प्रकृति का उपहार है...जिसमें हम सर्वाधिक शक्तिशाली हैं...और भविष्य मोहक आशा है...प्रेरणा है....सकारात्मक होना स्वीकारना है सर्वस्व को...इसमें क्या बुरा है....मुझे अपनी नाकामियाँ भी कम प्रिय नहीं हैं...उनमें भी मै ही हूँ...वे भी मुझे सम्पूर्ण बनाते हैं........! #श्रीशउवाच