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Showing posts from May, 2013

दिशाहीन हो भटकना भी .....कुछ अर्थ लिए होता है।

मुझे जीवन में एक पग भी चलना निरर्थक नहीं लगता। दिशाहीन हो भटकना भी .....कुछ अर्थ लिए होता है। अनुभव से कह सकता हूँ, जिसे लोग गलतियाँ कह देते हैं ....गहरे में जानता हूँ उन्हीं से मुझे ताकत भी मिलती रही है। मै ये जानता हूँ, जो फैसले लिए जा चुके हैं.....वे गलत नहीं हो सकते है....नज़रिये की बात है......हाँ, थोड़ा बाद में समझ आता है....! जो बीत गया, उसे कोसना स्वयं को और भी कमजोर करना है....आज, अभी जो है....क्या वो उपलब्धि नहीं है....और जो कुछ भी है अभी उसे पाने में यदि आप सोचते हैं केवल सही निर्णयों का योगदान है तो यकीनन आप पक्षपाती हो रहे हैं....!  व्यतीत-अतीत उपलब्धि ही है....वर्तमान, प्रकृति का उपहार है...जिसमें हम सर्वाधिक शक्तिशाली हैं...और भविष्य मोहक आशा है...प्रेरणा है....सकारात्मक होना स्वीकारना है सर्वस्व को...इसमें क्या बुरा है....मुझे अपनी नाकामियाँ भी कम प्रिय नहीं हैं...उनमें भी मै ही हूँ...वे भी मुझे सम्पूर्ण बनाते हैं........! #श्रीशउवाच