धर्म की बात
"धर्म की बात होती है तो सबसे पहले मुझे वोल्तेयर की कही ये उक्ति याद आती है- ईश्वर ना होता तो उसके अविष्कार की आवश्यकता पड़ती. “If God did not exist, it would be necessary to invent him.” यह उक्ति ईश्वर अस्तित्व की बहस को एक संतुलन दे देती है. इसीलिये यह उक्ति बहुत ही खूबसूरत हो जाती है. ईश्वर हो ना हो, उसकी आवश्यकता तो है, रहेगी. हम मर्त्यशील हैं, समय की सीमा में बंधा है हमारा अस्तित्व. यह सीमित समय ही शायद हमारी सभी बेचैनियों की वज़ह है. जैसे आप कहीं घूमने जाते हो तो उस जगह का पूरा लुत्फ़ लेना चाहते हो, कम से कम उस जगह की ख़ास चीजों को जरूर महसूस करना चाहते हो...वहां भी हम कम समय में अधिक चीजें कर लेना चाहते हैं. कम समय में अधिक चीजें कर लेने के लिए सबसे आवश्यक है कुशल मार्गदर्शन. शायद धर्म की जरूरत यों महसूस की गयी हो. समय का नुकसान बर्दाश्त नहीं किया जा सकता था तो अनुशासन की आवश्यकता हुई. अनुशासन के लिए अनुशासक एवं मार्गदर्शन के लिए मार्गदर्शक की आवश्यक भूमिका में ईश्वर अवतरित होते हैं. भविष्य की अनिश्चितता एवं प्रकृति के गूढ़ रहस्यों से अनभिज्ञता; ईश्वर में स्वाभाविक आस्था एवं