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Showing posts from April 12, 2015

अपेक्षाओं की संकीर्णता

नेता, नायक, महापुरुष, समाज-सेवक, कलाकार, सरकरी सेवक, पत्रकार, अध्यापक, अधिवक्ता, चिकित्सक, अभियंता, कवि-लेखक आदि-आदि ......,...! ये सब अलग अलग लोग हैं. इन्हें अलग-अलग ही देखना होगा...! इनमे से जो भी प्रसिद्ध हो जाता है....उनमें हम सभी के गुणों की अपेक्षा करने लग जाते हैं. अपेक्षाओं की विडंबना देखिये, हम चाहते हैं, खिलाड़ी सचिन हर स्तर पर समाज के लिए 'सचिन' बन जाएँ. हम चाहते हैं कलाकार अमिताभ, हर स्तर पर समाज के लिए 'अमिताभ' बन जाएँ. बन जाएँ तो ठीक है, ना बन सकें तो क्या हम  हिसाब लेंगे...क्योंकि वे 'प्रसिद्द' हैं..? प्रसिद्धि अर्जित गुण है...इससे अपेक्षा हो सकती है किन्तु बाध्यता नहीं. जरुरी नहीं कि प्रत्येक प्रसिद्द 'नेता', 'नायक' बन फिर 'महापुरुष' भी बन जाए...!   कुछ लोग ही समन्वित अपेक्षा पर खरे उतरते हैं, अधिकांश जो नहीं पार उतर पाते अपेक्षाओं के पहाड़ से उनका मूल योगदान भी भुलाया जाने लगता है. हर क्षेत्र के रोल मॉडल अलग अलग लोग होते हैं/होने चाहिए. कोई एक ही रोल मॉडल हर क्षेत्र में हम अपेक्षा करेंगे तो उस रोल मॉडल को बेजान मूर्ति बनते