Posts

Showing posts from 2016

त्योहारों के रेलें, मेले और भारत

Image
डॉ. श्रीश पाठक भारत में भानमती के कुनबे बहुत है । ये इसकी खूबसूरती है, पहचान भी और है इसकी मजबूती भी । अपने देश में जाने कितने देश बसते हैं । तरह-तरह के लोग, तरह-तरह की आदतें, रस्में तरह-तरह की और तहजीबें तरह-तरह की । तरह-तरह के पकवान, तरह-तरह के परिधान, तरह-तरह की बोलियाँ और तरह-तरह के त्यौहार । हाँ, त्यौहार...! अपना देश तो त्योहारों का देश है और भारत देश है मेलों का भी । हमारे यहाँ मंडी तो नहीं पर मेलों की रिवायत रही है । कोस-कोस पे पानी का स्वाद बदलता है और तीन-चार कोस पे बोली बदल जाती है और तकरीबन हर पंद्रह-बीस कोस बाद भारत में कोई न कोई मेले का रिवाज मिल जायेगा । प्रसिद्द मेलों की बड़ी लम्बी फेहरिश्त है और कमोबेश पूरे भारत में है यह । मेले जो कभी हर महीने लगते हैं, कुछ बड़े मौसम-परिवर्तन पर लगते हैं और कुछ साल के अंतराल पर लगते हैं । इन सतरंगी मेलों में भांति-भांति के लोग एक-दूसरे से मिलते हैं, एक-दूसरे की खासियतें समझते हैं, जरूरतें साझा करते हैं, रिश्ते बनते हैं, नाटक, खेल देखते हैं, इसप्रकार मेले दरअसल स्थानीयता का उत्सव होते हैं । त्योहारों का भी मूलभूत दर्शन उत्सव ही है । कभी प

राजनीति एक शास्त्र भी है....!

"......s s ....! मिल नहीं पायी इन्क्रीमेंट, बहुत पॉलिटिक्स है..!" "सिलेंडर नहीं मिल पाया आज भी, बड़ी राजनीति है, भाई !" "पॉलिटिक्स पढ़ते हो, इसमें तुम्हारी ही कोई राजनीति होगी.....!" ये जुमले खूब सुने होंगे, आपने l और यह भी सुने होंगे- "तुम ज्यादा मत उड़ो, अच्छे से समझते हैं तुम्हारी साइकोलॉजी ......! " "अपनी इकोनॉमिक्स खंगाल लो, आर्डर देने से पहले....! " " जियोग्राफी देखी है अपनी, जो मॉडलिंग करने चले हो...! " और ये भी सुना होगा आपने कभी कभी - "तेरी पर्सनालिटी की फिजिक्स समझता हूँ, शांत ही रहो..! " "तेरी उसकी केमिस्ट्री के चर्चे हैं बड़े.....! " "तेरा मैथ कमजोर है पर गणित बहुत तेज है, शातिर कहीं का ....!" हम सामान्य व्यवहार में शब्दों का बड़ा ही अनुशासनहीन प्रयोग करते हैं l इसमें इतना भी कुछ गलत नहीं l एक सीमा तक इससे भाषा को प्रवाह मिलता है, नए प्रयोग उसे लोकप्रिय और समृद्ध बनाते हैं l किन्तु शब्दों का चयन वक्ता के परसेप्शन को जरुर ही स्पष्ट करता है l ऊपर लिखे वाक्य यह अवश्य बताते हैं कि वक्त

वो भूंकते कुत्ते...

Image
कड़क सी सर्दी, रजाई में उनींदे से लोग सपनों की खुमारी में आँखें लबालब जब जो जैसा चाहते बुनते रचते, समानांतर सपनों की दुनिया, पर बार-बार टूट जाते वे सपने। खुल जाती डोरी नींद की कच्ची, बरबस मुनमुनाते गाली उन आवारा कुत्तों पर, जो भौंक पड़ते गाहे-बगाहे। (Google Image) क्यों नहीं सो जाते कहीं ये कुत्ते भी मजे लेते मांस के सपनों की, या फिर खेलते खेल ,खो सुधबुध    गरमाहट छानते पीढ़ी-दर-पीढ़ी। कुछ लोग होते ही हैं, तनी भवें वाले होती है उन्हें चौंकने की आदत गुर्राते हैं सवाल लेकर, मिले ना मिले जवाब दौड़ते हैं, भूंकते हैं, पीछा करते हैं, लिखते हैं...! जिन्दगी की रेशमी चिकनाइयों से परहेज नहीं पर बिछना नहीं आता, कमबख्तों को। चैन नहीं आता उन्हें, पेट भरे हों या हो गुड़गुड़ी। शायद शगल हो पॉलिटिक्स का, सूंघते हैं पॉलिटिक्स हर जगह, करते हैं पॉलिटिक्स वे  शक करते रहते हैं, हक की बात करते रहते हैं। लूजर्स, एक दिन कुत्ते की मौत मर जाते हैं.... ये, ऐसे क्यों होते हैं....? चीयर्स....! देश आगे बढ़ तो रहा है। ये नहीं बदलना चाहते, भुक्खड़। मेमसाहब का कुत्ता कितना समझदार है, स्पोर्टी...! हौले से गोद में बैठ कुनमुनाता

India's Diverse Borders and Diverse Threats

Abstract As India successfully positions itself as one of the core, influential nations of the world, its security scenario has become more vulnerable and complex. The roots of India's security challenges lie not only at the regional and international levels but also from within. These threats can be dealt with by securing the borders efficiently. However, the borders of India and their associated problems, geographical, social and cultural, are vivid and varied. Each border receives a different kind of treatment in accordance with the existing mutual relationship across the border. If the border people cannot connect with the country's mainstream, national security is affected. Indian policymakers face a hard challenge to formulate an integrated policy for borderlands and borders. While there are many common cross-border issues, chiefly non-security threats, there are other cross-border issues which are border specific. Besides, soft approaches to economic and cultural cross-b

India-Nepal Open Border System Debate amidst Natural Calamity and Constitution Making Process

*Dr. Shreesh Kumar Pathak In diplomatic circles, on varied grounds, some countries may be labelled as weak or strong nation but the ultimate power lies with Mother Nature. Still, science is unable to predict Nature’s course and impacts. The devastating quake has jolted Nepal very deeply. The calamity has definitely shaken the humanity but not its will. Nepal is trying hard to recover from the calamity and to reconstruct the essential structures. Nepal is already going through the toughest job of constitution making on the path of polity. Constitution making is not an easy exercise especially if the nation has varied populations and different colours of pages in its history book. Before the process of constitution making reaches its culmination, Nepal had to face a profound degree of natural calamity. International community has helped open-heartedly which maintains the belief in humanity and in global fraternity. In the process a country can understand the significance of cobweb of re

माहौलिया तंत्र औ लाईन में लगा लोक

For: newscaptured.com डॉ. श्रीश पाठक कहते हैं कि लोकतंत्र में जनता ही जनार्दन है। सरकारें जनता के लिए काम करती लगती हैं। लोगों को लगते रहना चाहिए कि यह उनकी सरकार है। कभी इंडिया शाईन कर रहा था, लोगों को लगा नहीं शायद। भारत-निर्माण भी हो रहा था, लोगों को लगा नहीं शायद। ‘लोग’ से ज्यादा ‘लगना’ महत्वपूर्ण है। माहौल सब कुछ है । इंडिया चमकाने में मेहनत है, इसकी जरुरत नहीं है; भारत निर्माण करने में मेहनत है, इसकी भी जरुरत नहीं है-माहौल पुरजोर बनना चाहिए कि इंडिया चमक रहा है और हो रहा भारत निर्माण, आगे बढ़ रहा उत्तम प्रदेश, बदल रहा बिहार.....! ये सब टी.वी. पर हो रहा है। रेडिओ पर हो रहा है। लाइक हो रहा है, कमेंट हो रहा है, शेयर हो रहा है। गजब माहौल है। स्वागत है, यह एक माहौलिया लोकतंत्र है। लोग सोच रहे-हो तो रहा है। एक दिन में थोड़ी होता है, विकास। इतना कुछ इकठ्ठा है, टाईम लगता है। ऊपर जो हो-हल्ला मचता है, नीचे तक रिसता है। ऊपर कहा गया-भ्रष्टाचार है, नीचे माना गया –हाँ, अब और नहीं करना है बर्दाश्त...! ऊपर कहा गया-अपना धन विदेशों में जमा है,-नीचे माना गया-उसे लाना पड़ेगा। ऊपर कहा गया-काला धन आस-पास