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Showing posts from August, 2017

राजनीति शास्त्र पढ़ने-पढ़ाने का क्या फायदा ?

राजनीति शास्त्र पढ़ने-पढ़ाने का क्या फायदा ? Hobbes को यही लगा था तो राजनीति को उसने फिजिक्स के तर्ज पर ढालकर विषय का पुनरोद्धार कर पॉलिटिक्स का गैलिलिओ बनने की ख्वाहिश पाली थी . एकबारगी डेविड ईस्टन को भी यही लगा था . अंततः यह समझा गया कि मानविकी विषय में तथ्य (fact) और मूल्य (Values) का सुन्दर समावेशन (inclusion) हो . Exactness जहाँ विज्ञान का गुणधर्म है वहीँ dynamism मानविकी का. प्रचलित विज्ञान निर्जीव (inanimate) का अध्ययन अधिक करते हैं, जहाँ कहीं सजीव (animate ) का अध्ययन करते भी हैं तो उनके स्थिर सार्वत्रिक गुणधर्मों (universal properties) तक सीमित होते हैं . मानविकी जीवित मन का अध्ययन करती है . इसमें exactness ना होना इसकी खूबसूरती और खासियत है . यह अधिक सूक्ष्म और व्यापक (universal) है . इसमें केवल तथ्यों से काम नहीं चलता . ध्यान दें, इकोनोमिक्स और ज्योग्रोफ़ी क्रमशः objectification की ओर बढ़ रहे हैं, एक तरफ पृथ्वी ऑब्जेक्ट है और दुसरी तरफ अर्थ (Money). ऐसा नहीं है कि विज्ञान बिना मूल्यों के निर्वहन कर सकता है अथवा उसमें केवल exactness ही है. एक समय उसमें यह कल्पना की गयी कि नाभिक

महापुरुषों का आराध्य देश होता है और मूर्खों का आराध्य दल

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डॉ. श्रीश महापुरुषों का आराध्य देश होता है और मूर्खों का आराध्य दल . मैं मुगलसराय अभी तक नहीं जा सका हूं . मेरे ज़ेहन में यह दो तरह से ही आता है बचपन से. कुछ दोस्त वहां के हैं और दूसरा दीनदयाल उपाध्याय जी का शव इसी स्टेशन पर बोरे में लिपटा पड़ा मिला था . मैं सचमुच नहीं समझता कि महामानव ऐसी मृत्यु के लिए अभिशप्त क्यों हैं? हमारा साझा सच सचमुच कितना विद्रूप है . एकात्म मानववाद के प्रणेता दीनदयाल उपाध्याय जी, जिनका समग्र जीवन सेवा धर्म का रहा, उनके नाम पर मुगलसराय स्टेशन का नाम रखना सचमुच एक सराहनीय कदम है . साधो, शहर वही है, उसका नाम अभी भी वही बस, स्टेशन का नाम बदला है . आइये इस पूरे घटनाक्रम को एक दुसरे पर्सपेक्टिव से देखें ! सत्ता और विपक्ष दो अलग वैचारिक दृष्टिकोण रखते हैं, उन्हें रखना भी चाहिए अन्यथा लोकतंत्र की सबसे बड़ी सुविधा ‘चयन ‘ खतरे में आयेगी . सिविल सोसायटी के लोग कतिपय लोभों के चलते अपनी सशक्त भूमिका नहीं निभा रहे . परिणामतः मीडिया अजीब तरीके से लेवियाथन बनने की स्थिति में है . विपक्ष और सत्ताधारी अपनी सुविधा से एजेंडा चुनते हैं मीडिया का अधिकांश हिस्सा अपनी बारगेनिंग के हिसा