2017 की विश्व राजनीति और भारत

पंचायत टाइम्स: पहला भाग अब जबकि पृथ्वी 2017 का अपना चक्कर पूरा ही करने वाली है, यह एक मुफीद समय है कि इस साल की विश्व-राजनीति को पीछे मुड़कर टटोला जाय, देखा जाय कि वे कौन सी घटनाएँ थीं, जिन्होंने खासा असर पैदा किया, ऐसी वे कौन सी गतिविधियाँ रहीं, जिनके जिक्र के बिना 2017 का कोई जिक्र अधूरा रहेगा और इन सबके बीच अपना भारत कैसे आगे बढ़ा ! यह एक मुश्किल काम इसलिए तो है ही कि विश्व राजनीति की बिसात बेहद लम्बी-चौड़ी है, पर असल चुनौती इसमें वैश्वीकरण की प्रक्रिया पैदा करती है। विश्व में वैश्वीकरण है, इसके अपने अच्छे-बुरे असर हैं; पर दरअसल विश्व-राजनीति का भी वैश्वीकरण हो चला है। इसका अर्थ यह है कि अब किसी भी महत्वपूर्ण वैश्विक घटना के स्थानीय निहितार्थ व प्रभाव हैं और किसी महत्वपूर्ण स्थानीय घटना के भी वैश्विक निहितार्थ व प्रभाव हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता ।संचार साधनों ने यह सुलभता तो दी है कि सभी घटनाएँ सभी स्तर पर लगभग तुरत ही उपलब्ध हैं, किन्तु इन्होने विश्व-राजनीति की जटिलताओं का और विस्तार ही किया है। इनकी अनदेखी करना सहसा विश्व-राजनीति के किसी घटना की व्याख्या में चूक जाना है