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Showing posts from January, 2018

पाकिस्तान पर दबाव बनाने के पीछे कहीं अमेरिका की ये रणनीति तो नहीं

"अमेरिका ने मूर्खतापूर्ण रीति से पिछले पंद्रह सालों में सहायता के नाम पर तैतीस बिलियन से भी अधिक राशि पाकिस्तान को दी है, और उन्होंने हमें बस झूठ, धोखा दिया है कि जैसे हमारे नेता मूर्ख हों। उन्होंने उन आतंकवादियों को सुरक्षित पनाह दी, जिन आतंकवादियों को हम अफ़ग़ानिस्तान में उनकी थोड़ी सहायता से खोज रहे थे। … अब नहीं !" अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने नए साल के अपने छठे ट्वीट से दक्षिण एशियाई, खासकर पाकिस्तानी राजनीति में खलबली मचा दी। ट्रम्प के बयानों को लेकर विश्लेषक कुछ पसोपेस में रहते हैं, जो अक्सर अस्पष्ट, विरोधाभासी और सनसनीखेज होते हैं, किन्तु यह ट्वीट बेहद करारा, स्पष्ट और निर्णायक था। भारत-अमेरिकी रिश्तों की तुलना में अमेरिकी-पाकिस्तानी रिश्ते ज्यादा गहरे और शीतकालीन समय के जांचे-परखे रिश्ते रहे हैं, ऐसे में जबकि भारत-अमेरिका रिश्तों की ऊष्मा बढ़ रही तो भारत के लिए भी यह ट्वीट खास मानी गयी।  ट्रम्प के इस ट्वीट के बाद पाकिस्तान की तिलमिलाहट साफ़ दिखी और पाकिस्तान के विदेश मंत्री जनाब ख्वाजा मोहम्मद आसिफ साहब ने उसी ट्विटर पर कई करारे जवाब दिये और लिखा कि जल्द ही पाकिस्तान ट

2017: भारतीय कूटनीति का लेखा-जोखा

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पिछला साल महज उपलब्धियों वाला नहीं रहा है, अपितु भारतीय कूटनीति के लिए कई सबक देकर यह वर्ष विदा हुआ है। संयुक्त राष्ट्र के अभिकरण इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस में भारतीय जज दलवीर भंडारी की पुनर्नियुक्ति भारत की जबरदस्त कूटनीतिक विजय मानी गयी पर उसी संयुक्त राष्ट्र का लोकतंत्रीकरण करने के लिए सरंचनात्मक सुधार करते हुए सुरक्षा परिषद् में भारत की वीटोसहित सदस्यता के भारतीय प्रयासों में ठंडक बनी रही। यदा-कदा आते-जाते कई देशों के भारतीय अतिथि इस मुद्दे पर भारतीय पक्ष लेते रहे पर कुछ भी ठोस प्रगति नहीं हुई। भारत से अपने संबंधों में एक उन्नत स्तर की समझ की दुहाई देने वाला अमेरिका भी अपने रवैये में ढुलमुल ही रहा। पड़ोसी चीन ने तो कभी भी इस मुद्दे पर भारत का समर्थन नहीं ही किया अपितु वह कहता रहा कि सुधारों का यह उपयुक्त समय ही नहीं है। भारत समझ सकता है कि भारत के हित उसके विश्व सहयोगियों को भी वहीं तक स्वीकार्य होंगे जहाँ तक उनके हित को कोई असुरक्षा न हो।  चीन ने न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में भी भारत की सदस्यता का पुरजोर विरोध किया। एनएसजी, परमाणु आपूर्ति राष्ट्रों का एक समूह है जो परमाणु