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Showing posts from September, 2018

नेपाल सौदेबाज, दगाबाज नहीं

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साभार: गंभीर समाचार  स्वतंत्र संप्रभु देश की विदेश नीति जब गढ़ी जाती है तो उन प्रभावी कारकों की पड़ताल की जाती है, जिनकी अवहेलना नुकसानदायक हो सकती है। भारत की ओर से तीन तरफ से और चीन की तरफ से एक तरफ से घिरे नेपाल को भी अपनी स्वतंत्र विदेश नीति की बुनियाद गढ़नी है। एक समय लगभग असंभव लग रहे संविधान-निर्माण की प्रक्रिया के सकुशल लोकतांत्रिक रीति से संपन्न हो जाने के पश्चात् नेपाल ने विधिसम्मत लोकतांत्रिक चुनाव आयोजित कर स्वयं को स्पष्ट बहुमत वाली नयी सरकार भी प्रदान कर दिया है। संगठित वामपंथ की सरकार के बनने से भारत के साथ नेपाल के संबंधों में वह जोश तो नहीं ही है, किंतु भारत-नेपाल संबंधों में आयी यह जकड़न दरअसल उस अविश्वास से उपजती है जिसका मूल नेपाली नवगठित ओली सरकार के चीन के प्रति दिखाई जा रहे झुकाव में है। चीन दुनिया की प्रमुख सामरिक-आर्थिक शक्ति है, न यह तथ्य नज़रअंदाज के काबिल है और न ही यह कि भारत तेजी से उभरती विश्व शक्ति है। चीन ओबोर नीति के आधार पर अपना खजाना खोले हुए है जो नेपाल की नवनिर्माण की आकांक्षा के लिए एक बेहद ही स्वाभाविक आकर्षण है। लोकतांत्रिक नेपाल आर्थिक मजबूती के लिए

भारत-पाकिस्तान-बांग्लादेश: एकीकरण बनाम महासंघ के तर्क

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साभार: दिल्ली की सेल्फी  लाहौर में जन्में प्रसिद्द भारतीय फिल्म निर्देशक यश चोपड़ा की 2004 में आयी फिल्म वीर-ज़ारा में मशहूर गीतकार जावेद अख्तर का लिखा एक गीत है जो सुर-साम्राज्ञी लताजी और उदित नारायण की आवाज में बेहद मकबूल हुआ था। 'धरती सुनहरी अम्बर नीला, हर मौसम रंगीला, ऐसा देश है मेरा हो...ऐसा देश है मेरा !' आख़िरी बंद में यह गीत कुछ यों हो जाता है- 'तेरे देश को मैंने देखा, तेरे देश को मैंने जाना...,....ऐसा ही देश है मेरा, जैसा देश है तेरा...!' यह फिल्म, इसके निर्देशक, इसकी कहानी, इसके लेखक और गीतकार यह निश्छल संदेश देते हैं कि भारत और पाकिस्तान में एक-दूसरे के लिए नफरत की कोई गुंजायश नहीं होनी चाहिए और कायनात की अनगिन खूबसूरत नेमतों को दोनों देश की धरती साझा करती है। कहना होगा कि लोकप्रिय कला माध्यम में यह एक अद्भुत प्रयास था जो एक 'मानवीय पाकिस्तान' की छवि गढ़ता था। लेकिन संस्कृति, समाज, इतिहास और राजनीति ये अलग-अलग शब्द हैं और अपनी पूरी अर्थवत्ता में इनके गंभीर निहितार्थों की अवहेलना कत्तई नहीं की जा सकती। राष्ट्र, राज्य व राष्ट्र-राज्य, 'राजनीति' के प

एकजुट अमेरिकी मीडिया द्वारा #एनेमीऑफ़नन कैम्पेन

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#एनेमीऑफ़नन साभार: गंभीर समाचार  जिस दिन भारत अपनी आजादी की इकहत्तरवीं वर्षगांठ मनाने में मशगूल था उसीदिन अमेरिका के छोटे-बड़े तकरीबन साढ़े तीन सौ मीडिया-प्रतिष्ठानों ने  अमेरिकी प्रेस की आजादी के पक्ष में सम्पादकीय प्रकाशित किया । यह एक अभूतपूर्व घटना थी। पर कहना होगा कि यह उस अभूतपूर्व रवैये के विरुद्ध एकजुट प्रदर्शन था जो किसी भी अन्य अमेरिकी राष्ट्रपति में यों नहीं रही । पिछले एक अरसे से मीडिया द्वारा हो रही अपनी हर आलोचना को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ‘फेकन्यूज’ कह रहे हैं और जोर देकर दुहराते हैं कि मीडिया द्वारा कहा गया, दिखाया गया कुछ भी तथ्य नहीं है। ट्रम्प के अनुसार मीडिया, विपक्षी दल की तरह व्यवहार कर रहा है और यह देशहित में नहीं है। ट्रम्प यहाँ तक कहने लगे कि मीडिया उनकी दुश्मन नहीं बल्कि देश की दुश्मन है। ट्रम्प अपने ट्विटर अकाउंट से बमबारी करते हैं तो उसी ट्विटर पर एकजुट अमेरिकी मीडिया द्वारा #एनेमीऑफ़नन कैम्पेन चलाया गया। बोस्टन ग्लोब की अपील पर अमेरिकी मीडिया ने राष्ट्रपति ट्रम्प के इस मीडिया विरोधी रवैये का एकजुट विरोध किया।  कमोबेश पूरी दुनिया में सत्ता के साथ मीडिया के जो

विश्व राजनीति में मीडिया

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 “जो मीडिया को नियंत्रित करता है वह मन को नियंत्रित करता है।  (जिम मॉरिसन )” साभार: गंभीर समाचार  अभिव्यक्ति के लिए भाषा और उसके संकेत चिन्हों को दर्ज करने की तकनीक के सहारे मानव ने अभूतपूर्व प्रगति की है। साझी सामाजिक स्मृति सहेजी जा सकती है और भविष्य के लिए प्रयोग में भी लाई जा सकती है। मानव-अभिव्यक्ति के अनगिन माध्यम विकसित हुए। उन सभी मीडियम्स का बहुवचन ही मीडिया कहलाता है । जैसे-जैसे राजनीतिक संरचनाएँ विकसित होती गयीं, मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण होती गयी। यों तो इतिहास के पन्नों में मीडिया के कितने ही रंग हैं लेकिन अब जबकि संपूर्ण विश्व में एक राजनीतिक मूल्य के रूप में लोकतंत्र स्वीकार्य हो चला है, मीडिया की भूमिका कमोबेश अब यह स्थापित है कि वह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में जवाबदेही व पारदर्शिता सुनिश्चित करता है और नागरिक-समाज एवं सरकार के मध्य सेतु बनकर राजनीतिक संक्रियाओं के निर्वहन में योग देता है।  वैश्वीकरण और मीडिया का वैश्विक स्वरूप  संचार क्रांति ने समूचे दुनिया से एक क्लिक पर संपर्क-सम्बद्धता उपलब्ध करा दिया है। इंटरनेट ने पूरी दुनिया को चौबीसों घंटे जोड़ रखा है। सूच