मालदीव संकट और भारत

महज सवा चार लाख की आबादी वाले छोटे से देश मालदीव ने अपने राजनीतिक संकट से पूरी दुनिया की नज़र भारत पर केंद्रित कर दी है। मालदीव के सुप्रीम कोर्ट ने मालदीव के पहले लोकतांत्रिक रीति से निर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद सहित हाई प्रोफ़ाइल नौ राजनीतिक बंदियों को रिहा करने और 12 सांसदों की सदस्यता बहाल करने का निर्देश दिया। संसद सदस्यता के बहाल होने का अर्थ यह है कि मौजूदा राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की सरकार अल्पमत में आ जाएगी और उनके विरुद्ध संसद महाभियोग पारित कर सकेगी। यामीन ने खतरा भांपते हुए और संभवतः अपना आखिरी दांव चलते हुए देश में 15 दिवसीय आपातकाल की घोषणा कर संसदीय कामकाज सहित सारे कामकाज ठप कर दिए हैं, आशंका है वे इसे आगे भी बढ़ा सकते हैं । उनके निर्देश पर सेना ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश व यामीन के भाई पूर्व राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम को गिरफ्तार कर लिया है तथा संसद को घेर लिया है। निर्वासित राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने भारत से प्रत्यक्ष हस्तक्षेप कर लोकतंत्र को बचाने की गुहार लगाई है और अमेरिका से भी मदद की दरख्वास्त की है। भारत ने कड़े शब्दों में मालदीव से लोकतंत्र बहाली क