भारत में समान नागरिक संहिता की स्थिति तब तक नहीं बन सकती

साभार: दिल्ली की सेल्फी जटिल परतदार समस्याओं के समाधान भारतीय संविधान में नीति निदेशक तत्वों में रखे गए हैं। नीति निदेशक तत्व सरकार व समाज के लिए बाध्यकारी नहीं होते किन्तु उन तत्वों का नीति निदेशक तत्वों में होना यह बताता है कि वे तत्व संविधाननिर्माताओं के भविष्य के भारत में एक अनिवार्य तत्व के रूप में हैं, इसका सीधा मतलब यह है कि वे सभी तत्व जो नीति निदेशक तत्वों की श्रेणी में हैं, उन्हें भविष्य में कभी न कभी भारत की जमीनी हकीकत में उतारना ही है। उनमें से एक तत्व ‘समान नागरिक संहिता’ भी है। आइये पहले समझते हैं कि क्या है यह ‘समान नागरिक संहिता’ ? एक व्यक्ति के जीवन के कई आयाम होते हैं और वे सभी आयाम दूसरे व्यक्तियों को भी प्रभावित करते हैं। राजनीतिक जीवन के साथ ही साथ सामाजिक जीवन में भी दायित्व और उत्तरदायित्व का तत्व राजनीतिक और सामाजिक विकास के लिए आवश्यक है जिससे अंततः किसी राष्ट्र का सर्वांगीण विकास संभव होता है। बहुधा दायित्व और कर्तव्य के मार्गदर्शन के लिए एक-दूसरे पर बनती निर्भरता अपनी भूमिका निभाती है, किन्तु दायित्व-निर्वहन के न होने की स्थति में अथवा न्यून होने की स्थिति