जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटा (जेआरडी)

साभार: दैनिक भास्कर वो जमाना था जब समझा जाता था कि रूस को कभी पराजित नहीं किया जा सकता था, क्योंकि कोई भी शक्तिशाली सेना यदि इसके भीतर प्रवेश कर भी ले तो भी रूस के भीमकाय भूगोल में उसे उलझना ही था। लेकिन पिद्दी सा जापान रूस के लिए मुसीबत बन अगले साल तक उसे हराने वाला था। जर्मन राजा अपने इरादों से यूरोप के बड़े खिलाड़ी फ़्रांस और ब्रिटेन के साम्राज्यवादी बुनियादों को हिलाने की फ़िराक में था। ऐसे में फ़्रांस, ब्रिटेन के साथ आपसी साम्राज्यवादी सघर्षों को तनिक विराम दे, ‘ऐंतांत कोर्डीएल’ के समझौतों को संपन्न कर राहत की साँस ले रहा था। कला और फैशन के लिए मशहूर फ़्रांस, चित्रकला की फ़ॉविज्म धारा को अपना रहा था जिसका यकीन था कि कैनवस पर मानव मनोभावों को उकेरना आवश्यक है भले ही असंगत रंगों का चटख प्रयोग करना पड़े । बेहद लोकप्रिय बाईसिकिल रेस प्रतियोगिता ‘टूर डी फ्रांस’ के दूसरे संस्करण का कम उम्र का विजेता हेनरी कोर्नेट अपनी बुलंदियों पर था। अमेरिका के ओरविल व विलबर राइट जब अपने हवा से भारी एयरक्राफ्ट फ्लायर-दो को सफलतापूर्वक उड़ा चुके थे तो उसके सात महीने के बाद २९ जुलाई १९०४ के पेरिस में भारत के सबस