राजनीतिक संकट के पूर्णकोणीय पटाक्षेप पर मालदीव

प्रभात खबर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में मोहम्मद सोलिह के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के साथ ही मालदीव इस दशक के अपने सबसे बड़े राजनीतिक संकट के पूर्णकोणीय पटाक्षेप पर पहुंच गया. लोकतांत्रिक संविधान के अनुरूप चुने गये पहले राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद द्वारा शपथ लेने के तीन साल के भीतर ही, वर्ष 2012 में, त्यागपत्र देने से शुरू हुए राजनीतिक संकट ने महज सवा लाख आबादी वाले इस खूबसूरत द्वीपीय देश को राजनीतिक अस्थिरता के दौर में डाल दिया था. मोहम्मद नशीद ने राष्ट्रपति रहते हुए देश की पर्यटन नीति में बदलाव किये थे. इनसे मौमून अब्दुल गयूम और उनके भाई अब्दुल्ला यामीन के आर्थिक हितों को ठेस लगी थी. नवम्बर, 2013 में गयूम के प्रयासों से यामीन ने राष्ट्रपति की कुर्सी अपने नाम की. तबसे यामीन और नशीद के बीच राजनीतिक संघर्ष जारी था. उस समय हिंदमहासागर में चीन स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स नीति के तहत बड़े कदम उठा रहा था. तब, गयूम के बाद नशीद भी चीन के सामरिक व आर्थिक आकर्षण में आने को उद्यत थे. वर्ष 2011 हुए सत्रहवें दक्षेस सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मालदीव में आने के एक दिन पूर्