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Quoted: Aaj Tak (On Trump)
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आज तक " गलगोटिया यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख श्रीश पाठक पीएम मोदी की चुप्पी को कूटनीतिक और उचित मानते हैं. उन्होंने बताया कि अमेरिकी विदेश नीति का सर्वाधिक प्रमुख चेहरा वहां का राष्ट्रपति होता है. भारत-अमेरिका संबंधों की महत्ता देखते हुए ट्रंप के बयान की स्पष्ट आलोचना न संभव है और न ही आवश्यक है. फिलहाल एक कूटनीतिक चुप्पी के अधिक लाभ है. श्रीश पाठक ने कहा, 'ऐसा लगता है कि भारतीय विदेश विभाग ने कोई पहल जरूर की हो इस आशा से कि समाधान भारतीय पक्ष में अधिकाधिक संभव हो सके. लेकिन बात बनी न हो और ट्रंप ने अपनी भूमिका रेखांकित करने की गरज से एक बयान दिया हो ताकि ट्रंप के समर्थक इसे पसंद करें. गौरतलब है कि अगले वर्ष अमेरिका में चुनाव भी है. मोदी द्वारा किया गया कोई खंडन अंततः संबंधों में एक खटास ही लाएगा और भारत यह कत्तई नहीं चाहेगा.' श्रीश पाठक का कहना है कि यह भी संभव है कि एक दूरगामी समझ बन गई हो और ट्रंप ने जिसकी ओर एक इशारा कर दिया हो. यह फिलहाल समय के गर्भ में ही है कि चीजें कैसे सामने आती हैं. इतना जरूर कहा जा सकता है कि कश्मीर एक मुद्दे के तौर पर आने व
Quoted: Aaj Tak (On Maldives)
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आज तक " श्रीश पाठक कहते हैं कि मालदीव की मजलिस (संसद) में मोहम्मद नशीद को स्पीकर के रूप में भारतीय प्रधानमंत्री के साथ बैठे देखना अच्छा लगा. पिछले साल फरवरी में अब्दुल्ला यामीन की सरकार ने जब देश में आपातकाल लगाया था तो इन्हीं नशीद ने तब भारत सरकार को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की थी. श्रीश पाठक याद करते हैं कि स्वनिर्वसन में नशीद ने यह चिट्ठी श्रीलंका से लिखी थी. एक जमाने में पत्रकार रहे मोहम्मद नशीद मालदीव में उन संघर्षों के अगुवा रहे जिससे देश को 2008 में एक नया लोकतांत्रिक संविधान मिला और उसी साल ग्यूम को चुनाव में हराकर नशीद देश के पहले लोकतांत्रिक राष्ट्रपति चुने गए थे. उस वक्त भारत के लिए एक पशोपेश की स्थिति थी क्योंकि यामीन सरकार को चीन का पूरा समर्थन था और भारत को डोकलाम मुद्दे में चीन के साथ तनातनी से उबरे कुछ वक्त ही हुए थे. मालदीव में चीन ने एक चेतावनी भी दे ही दी थी कि आंतरिक मामले में कोई हस्तक्षेप न करे. उन्होंने कहा कि आखिरकार, देश की जनता ने नशीद और ग्यूम समर्थित नेता मोहम्मद सोलिह को आम चुनाव में विजयी बनाया. सोलिह की सरकार ने एकबार फिर मालदीव में भारत की पा
फेक न्यूज फिनोमेना
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ज़्यादातर लोग 14 फरवरी को वैलेंटाइन दिवस के रूप में मनाते हैं, लेकिन 14 फरवरी, 1931 की सुबह लाहौर में शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फाँसी दी गई थी। 'शिक्षा से मै अंग्रेज़ हूँ, संस्कृति से मुस्लिम और दुर्घटनावश हिन्दू हूँ' -जवाहर लाल नेहरू मैचूपो विषाणु, पैरासीटामोल टेबलेट में पाया जा सकता है। राष्ट्रपति ट्रम्प ने इस्तीफा दिया। भारत में लगाई गई विश्व की सबसे लंबी ऊँची मूर्ति स्टेचू ऑफ यूनिटी में अभी से दिखने लगे हैं दरार। ऊपर की ये पाँचों खबरें पूरी तरह से गलत हैं। भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फाँसी 23 मार्च 1931 को दी गई थी। जवाहरलाल नेहरू ने ऐसा वक्तव्य कभी नहीं दिया। पैरासीटामोल दवा पूरी तरह से सुरक्षित है और मैचूपो विषाणु के भारत में पाये जाने की फिलहाल कोई सूचना नहीं हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपना इस्तीफा नहीं दिया है। खबरों के लिबास में यह चारों सूचनाएँ दरअसल भ्रामक, जाली खबरें, फर्जी खबरें या फेक न्यूज हैं। बहुत मुमकिन है कि आपने भी इन खबरों को कहीं पढ़ रखा हो। अपने प्रस्तुतीकरण में ये बिलकुल असली खबरों की तरह ही होती हैं, किन्तु ये फर्जी खबर