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क्या नोटा बकवास है?

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डॉ. श्रीश पाठक मतदान अवश्य करें, चाहे भले ही नोटा क्यूँ न हो। मतदान न देना और नोटा में बहुत अंतर है। नोटा एक बेहद महत्वपूर्ण साधन है, यह प्रभावी है, सभी दलों ने जानबूझकर इसकी अवहेलना की है क्योंकि यह उनके डाइनिंग रूम के बनाए समीकरण तोड़ता है और अंततः उन्हें जनता के बीच में आने व रहने को मजबूर करता है।  राजनीतिक शिक्षा के अभाव में अक्सर लोग नोटा और मतदान ना देना एक बराबर समझते हैं। दुर्भाग्य से कई जगहों पर तो कई दलों ने इसके खिलाफ अभियान भी चलाया। अक्सर लोग कहते हैं कि नोटा को गया मत बेकार हो जाता है और यदि मत बेकार ही करना है तो मतदान की जरूरत ही क्या है! कुछ बारीकियाँ लोकतंत्र में बहुत अहम होती हैं। राज्य के चार मूलभूत अंग होते हैं- जनता, भूभाग, संप्रभुता एवं सरकार। नागरिक समाज और सरकार के लोग मिलकर ही राज्य को क्रियाकारी बनाते हैं। लोकतंत्र में यों तो निर्णायक शक्ति (संप्रभुता) जनता में निहित होती है परंतु सत्ता को चलाने की जिम्मेदारी सरकार की होती है। सरकार की शक्तियाँ इसी तर्क से उसे प्राप्त होती है। लोकतंत्र में यह तय तथ्य है कि राज्य, सरकार आदि सभी ताने बाने जनता के लिए हैं, इसलि

✍️संवाद के लिए हमें सहमत होना होगा कि असहमतियाँ भी साथ रह सकती हैं।

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डॉ. श्रीश  Image Source: Imgur मेरा मानना है कि हम जानकारियों के कई वृत्तों पर एक साथ सवार होते हैं जो उम्र और अनुभव के इतर होता है। किसी अनुभव व जानकारी में कोई बहुत आगे हो सकता है और वही व्यक्ति किसी दूसरे अनुभव व जानकारी में बेहद पीछे हो सकता है। यह सबका सच है इसलिए ही शिक्षा व संवाद के पुल गढ़े गए। लेकिन यह स्वाभाविक है कि स्वयं का महसूस किया गया ही अधिक सत्य महसूस हो, ऐसे में कुछ उपागम रचे गए ताकि एक सीमा तक सम्यक बोध तक पहुँचा जा सके। नितांत में बोध नहीं है तो यह स्वीकार कर चलना होगा कि मेरे सहित सभी की सीमा है और हमें सहमत होना होगा कि असहमतियाँ भी साथ रह सकती हैं। अपने बारे में कहूँ तो लगभग रोज ही कोई न कोई मुझे कभी संघी तो कभी वामी कह देता है। मै भीतर सोचता हूँ कि क्या हूँ मै। फिर उत्तर आता है कि देश से प्यार हर किसी को है और सभी अपने-अपने तरीके से इसे निभा भी रहे। वैचारिक संघर्ष तो विकास की एक जरूरी खिड़की है इसलिए किसी पक्ष को खारिज अथवा घृणा से देखने की बजाय उसे उसकी दृष्टि से देखने भर का जतन कर लेने में बुराई नहीं है। राजनीति को इतिहास से समझना जरूरी है। इंटरेस्ट आर्टिकुले