Quoted: Aaj Tak (On Maldives)
आज तक " श्रीश पाठक कहते हैं कि मालदीव की मजलिस (संसद) में मोहम्मद नशीद को स्पीकर के रूप में भारतीय प्रधानमंत्री के साथ बैठे देखना अच्छा लगा. पिछले साल फरवरी में अब्दुल्ला यामीन की सरकार ने जब देश में आपातकाल लगाया था तो इन्हीं नशीद ने तब भारत सरकार को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की थी. श्रीश पाठक याद करते हैं कि स्वनिर्वसन में नशीद ने यह चिट्ठी श्रीलंका से लिखी थी. एक जमाने में पत्रकार रहे मोहम्मद नशीद मालदीव में उन संघर्षों के अगुवा रहे जिससे देश को 2008 में एक नया लोकतांत्रिक संविधान मिला और उसी साल ग्यूम को चुनाव में हराकर नशीद देश के पहले लोकतांत्रिक राष्ट्रपति चुने गए थे. उस वक्त भारत के लिए एक पशोपेश की स्थिति थी क्योंकि यामीन सरकार को चीन का पूरा समर्थन था और भारत को डोकलाम मुद्दे में चीन के साथ तनातनी से उबरे कुछ वक्त ही हुए थे. मालदीव में चीन ने एक चेतावनी भी दे ही दी थी कि आंतरिक मामले में कोई हस्तक्षेप न करे. उन्होंने कहा कि आखिरकार, देश की जनता ने नशीद और ग्यूम समर्थित नेता मोहम्मद सोलिह को आम चुनाव में विजयी बनाया. सोलिह की सरकार ने एकबार फिर मालदीव में भारत की पा