हम सही हैं और हमें भीड़ अपना निशाना नहीं बनाएगी ?

Image Source: DNA India हम सही हैं और हमें भीड़ अपना निशाना नहीं बनाएगी। यही सोचते हैं हम, कई यही सोच रहे थे जो निशाना बन गए। एक भीड़, दूसरे तरह की भीड़ को उकसाती है। दोनों उन्मादी , बस प्रतिशोध समझते हैं, व्यक्ति का प्रतिशोध समुदाय से लेना चाहते हैं। दोनों को भविष्य की कोई चिंता नहीं होती, वह तो किसी अतिशयोक्तिपूर्ण अतीत की गिरफ्त में होते हैं। भीड़तंत्र कभी हमसे हमारा पक्ष नहीं पूछेगा, वह आरोप लगाएगा और दंड देगा तुरंत। सही-गलत के न्याय के लिए हम, शेष नहीं होंगे। उन्माद आत्मघाती होता है, यह उन्मादी नहीं समझ पाता। लोकतंत्र की यात्रा बेहद ही दुरूह है। हमने खून बहाया है यहाँ तक आने के लिए। उल्टी यात्रा, खतरनाक है। असहमतियाँ अगर स्थान पाती हैं तो वे लोकतंत्र की सर्वाधिक स्थायी एवं आश्वस्तकारी छवि निर्मित करती हैं। पूरे विश्व भर में किसी राष्ट्र के लोकतंत्र की शक्ति को मापने की सबसे महत्वपूर्ण कसौटियों में से एक असहमतियों का होना है। किसी लोकतांत्रिक राष्ट्र में असहमतियों के साथ जैसा सुलूक किया जाता है, वैसा ही वह लोकतंत्र समझा जाता है। #Mob_Lynching #श्रीशउवाच