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Showing posts from January, 2020

RSS can mobilise...

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21/01/2020 Image Source: The Express Tribune I sincerely believe, that RSS of today is actually in a powerful historical position that it can mobilise a mass movement against caste system and its diverse discrimination at least in major Hindu society. RSS must make this issue a pivotal agenda of their all activities. Nobody else can do this right now but the RSS. This would make RSS a truly constructive and institution of national change which eventually would make irrelevant the various shortsighted political grouping s who often exploit the political benefits from the inequalities prevalent under caste system. Through this, RSS would make a permanent place in all sorts of discourses of national importance with an everlasting relevance. If in any capacity RSS could wage a war against this, it would contribute a significant essence of long-running social and cultural reforms to greater Indian society which could ever be generally dreamt by a modern reformer or by any interest group or

✍️और हाँ, हमारे-आपके खाते स्विस बैंक में नहीं हैं...

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15/01/2020 Image Source: Financial Express जो भी हो देश से, अपने वतन से तो हम मुहब्बत करते ही हैं। अब इस देश के हालात पर हम आप बात नहीं करेंगे तो और कौन करेगा। क्या कहा, इसके लिए नेता जी लोग हैं! ना भाई, चौकीदारों पर भरोसा करना एक बात, आँख मूंद लेना एक बात है। तो पहली बात ये है कि सरकारी आंकड़ों के हिसाब से (NSO) गुजरे दिसंबर में खुदरा मुद्रास्फीति की दर पिछले 65 महीनों में (पिछले 5 साल) सर्वाधिक रही। इसका हमारे आपके लिए मायने ये हैं कि जरूरी चीजों की कीमत आसमान छू रही है। प्याज छोड़िए, बताइए कौन सी सब्जी आपको सस्ती मिल रही। सब्जी छोड़िए, दिल पर हाथ रखकर बताइए कौन सी चीज पहले से सस्ती मिल रही है। महँगाई का असर हम सब शिद्दत से महसूस कर रहे हैं। महँगाई नियंत्रण में होती तो हम आप निश्चित ही कुछ बचत कर पाते। बचत होती है तो ग्राहक खरीदने को तैयार होते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था में माँग बनती है। किसी भी आर्थिक जानकार से बात कर लें, वे मानेंगे कि इस समय यह माँग खासा सिकुड़ गई है। दूसरी बात हम ये भी जानते हैं कि अपनी अर्थव्यवस्था में ग्रोथ भी ठिठकी पड़ी है। अब अगर मुद्रास्फीति ऊँची दर पर हो और ग

कैसे समझें वामपंथ (Leftist), दक्षिणपंथ (Rightist) और केन्द्रस्थ (Centrist) राजनीति का अंतर

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डॉ. श्रीश  यों तो यह उम्मीद करना कि सामान्य बोलचाल की भाषा में राजनीतिक शब्दावलियों का सटीक प्रयोग ही हो, इतना आसान नहीं है; लेकिन थोड़े भी संवेदनशील एवं जागरूक व्यक्ति के लिए यह जरुरी हो जाता है कि वह राजनीतिक शब्दावलियों का कम से कम लिजलिजा प्रयोग न करे. चूँकि राजनीति सबको प्रभावित करती है तो इसके शब्दों का असंयत, अनुचित प्रयोग बेजा का भ्रम पैदा करेगी और सहयोग के स्थान पर संघर्ष की स्थितियां निर्मित करेंगी. इस लेख में हम वामपंथ और दक्षिणपंथ के सैद्धांतिक और व्यावहारिक अंतर को समझने की कोशिश करेंगे और इस कोशिश के साथ ही हम समाजवाद, मार्क्सवाद, साम्यवाद (कम्युनिज्म), पूंजीवाद, केन्द्रस्थ राजनीति (Centrist Politics), फांसीवाद और कन्जर्वेटिज्म (रुढ़िवादी/संकीर्णतावादी) आदि शब्दावलियों को प्रसंगानुसार देखेंगे. आज हम सभी राजनीतिक विकास के जिस चरण में हैं उसकी प्रकृति में प्रत्येक देश की राजनीतिक संस्कृति के अनुरूप विविधताएँ हैं. राजनीतिक विकास का पथ सीधा सपाट नहीं रहा है इसलिए ही राजनीतिक शब्दावलियाँ कम से कम सामान्य बोलचाल में खासा भ्रमपूर्ण हो जाती हैं. लगभग संपूर्ण विश्व में राजनीतिक विका