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✍️मानव और मानवीयता दोनों बचे।

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22/03/2020 Image Source: The Bloomberg हमारी दुनिया ने दो-दो महायुद्ध की विभीषिका देखी है जब गाँव के गाँव, युवा मर्दों से वीरान हुए थे, औरतें घरों से निकलने क ो मजबूर, बच्चे-बूढे लाचार थे, भविष्य कत्तई अनाकर्षक लगता था, उस पर मानो कोई सोचना नहीं चाहता था। इन महायुद्धों से जुड़ी बड़ी-छोटी अनगिन त्रासदियां रहीं, जो हमारे आज के आधुनिक जीवन की सुविधाओं-सहूलियतों की नींव बनाते हैं। आज की हमारी आदतों और प्रेरणाओं में उन महायुद्धों की छाप इतिहासकार, मनोवैज्ञानिक और समाजशास्त्री सरलता से उकेर सकते हैं। युद्ध,  मानवता ने अनगिन देखे हैं लेकिन इन दो बड़े युद्धों को महायुद्ध या विश्वयुद्ध इसलिए कहा गया क्योंकि प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रीति से इन युद्धों में लगभग सभी देश शामिल हुए। दो मायनों में हमारी आज की त्रासदी कोविड 19 नामक बीमारी जो कोरोना विषाणु के एक नए खतरनाक प्रकार से उपजता है; उन दो महायुद्धों से भी कहीं अधिक विकराल और व्यापक है। एक तो इस महामारी से अभी ही 170 से अधिक देश प्रत्यक्ष रूप से जुझ रहे हैं दूजे युद्धों की तरह यह मानवजनित नहीं है कि इस पर नियंत्रण अकेले मानव कर सकें। हर पीढ़ी,