Political Literacy: संप्रभुता (Sovereignty)

28/04/2020 Image Source: Thesaurus.Plus संभव हो और आप अर्थशास्त्र से अर्थ निकाल लें, मनोविज्ञान से मन, बैंकिंग से बैंक, समाजशास्त्र से समाज और इतिहास से अतीत, तो इन सब्जेक्ट्स में कुछ बाकी नहीं रहेगा l ठीक उसीप्रकार राजनीतिशास्त्र में यदि संप्रभुता की अवधारणा निकाल दी जाय तो यह सब्जेक्ट अपना केन्द्रक खो देगा और निष्प्राण हो जाएगा l राजनीति के विद्यार्थी हों और संप्रभुता की अवधारणा से अनभिज्ञ या अस्पष्टता हो, तो अन्य सभी प्रयत्न अर्थहीन हैं l राजनीति का अध्ययन करते हुए बार-बार यह महसूस होगा कि एब्स्ट्रेक्ट इतने भी शक्तिशाली हो सकते हैं l राजनीति में जिन तथ्यों की साधिकार चर्चा की जाती है उनमें से अधिकांश कोई भौतिक सत्ता नहीं रखते, टैंजीबल नहीं हैं l लेकिन अपने प्रभाव में वे इतने प्रबल हैं कि उनका एब्स्ट्रेक्ट होने पर सहसा विश्वास नहीं होता l राज्य भी एक अवधारणा ही है, इसे आप स्पर्श नहीं कर सकते, यह हमारे मन में क्रमशः स्थापित एक अवधारणा है l हाँ, अवश्य ही राज्य के अन्यान्य एजेंसियों और एजेंटों से हम रूबरू होते हैं l यों ही संप्रभुता की अवधारणा भी एक एब्स्ट्रेक्ट ही है लेकिन यह राजनीति क