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Showing posts from May 5, 2020

स्कोप, फील्ड का नहीं, आपका होता है

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Image Source: Noktan बारहवीं के बाद क्या? मुझसे कई बार पूछा जाता है कि बच्चे को आगे क्या पढ़ाएँ, खासकर तब जब इंजीनियरिंग व मेडिकल का विकल्प ना चुनना हो। पूछते हैं कि किस क्षेत्र में कितना स्कोप है। मै बेधड़क कहता हूँ कि स्कोप फील्ड का नहीं स्टूडेंट का होता है। इंसान को हर फील्ड की जरूरत जबतक बनी हुई है, काबिल व्यक्ति की जरूरत भी बनी हुई है। आप होशियार हैं, मेहनती हैं और स्वयं में सुधार को तत्पर हैं तो कोई भी फील्ड आपकी जिंदगी बना सकता है। हर फील्ड को अपने सिकंदर की जरूरत होती है। इसके उलट कोई भी क्षेत्र बेहतरीन कैरियर की चकाचौंध सुरक्षा नहीं दे सकता। पड़ोस के किसी का कहीं सफल हो जाना आपके लिए भी उस क्षेत्र का बेहतरीन हो जाना नहीं साबित करता। आप, श्रम व लचीलेपन के लिए तैयार नहीं हैं तो किसी भी फील्ड में आपका स्कोप नहीं है। भविष्य का मामला है, कई बार जवाब देते नहीं बनता। ज़ाहिर है कैरियर के बारे में सवाल करते लोगों को शिक्षा के उद्देश्य पर प्रवचन नहीं किया जा सकता। लोगों को पैसा, सम्मान, सुरक्षा चाहिए ही होता है और इसमें कुछ गलत नहीं लेकिन ये तीनों गलत तरीके से भी जरूर कमाए जा सकते हैं।

मार्क्स का जन्मदिन

आज मार्क्स का जन्मदिन है. इस मौके पर कहना चाहता हूँ कि समाजवाद, वामपंथ, कम्युनिज्म और मार्क्सवाद एक-दूसरे से संबद्ध होते हुए भी स्वतंत्र अभीमुखीकरण रखते हैं. कहना यह भी है कि रूस में लेनिन ने जबरन वर्ग चेतना वेनगार्ड्स के माध्यम रोपित की और चीन में माओ ने यह मानते हुए कि कम्युनिज्म के बाद भी द्वन्दात्मक पदार्थवाद जारी रहता है और सतत क्रांति का सिद्धांत अपनाया; इसलिए रूस और चीन की सफलता और असफलता सीधे ही मार्क्सवाद की सफलता-असफलता नहीं है. मै बारंबार इस निष्कर्ष पर भी पहुंचता हूँ कि पूंजीवाद की जो विसंगतियाँ मार्क्सवाद ने चिन्हित कीं, उन्हीं पर काम करके पूंजीवाद ने कल्याणकारी राज्य का चोला पहना और वैश्वीकरण के रूप में आज समूचे विश्व में प्रभावी है. #श्रीशउवाच