कोविड हमारी उम्मीदों को न लॉक कर सकता है न हमें डाउन ही कर सकता है !

Photo: Shreesh जीवन के सतरंगी सागर में इसप्रकार अनगिन अलबेली नौकाएँ तिरती-फिरती रहती हैं l यूँ तो जगत का हर जीव अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ता है, हारता है, उठता है, जीतता है फिर लड़ता है, लेकिन मानव ने बहुधा स्वयं को दाँव पर लगाकर मानवता की रक्षा की है l चौदहवीं सदी के ब्युबोनिक प्लेग जिसने दुनिया के एक-तिहाई लोगों को अपना निशाना बना लिया था, से लेकर आज तक महामारियों का इतिहास सुझाता है कि जानकारी और सावधानी का अभाव ही बीमारियों को त्रासदी में तब्दील करते हैं l मानवता का ज्ञात इतिहास दर्जन भर से अधिक महामारियों की त्रासदियों से अटा पड़ा है l इतिहास के उन पन्नों से गुजरते हुए अनिश्चितता, असुरक्षा, भय के वही भाव उसी शिद्दत से उभरते हैं, जिनमें कमोबेश आज फिर मानवता है l त्रासदियों के इतिहास का हर अध्याय बताता है कि उसके तुरंत बाद मानवता के सुनहरे पन्ने लिखे गए l इन सुनहरे पन्नों के लेखकों की नींव उन्हीं ने बनायीं थी जो उन भयंकर त्रासदियों से गुज़रे थे l दुनिया सामंतवाद के बेलगाम शोषण से मुक्त होने में और अधिक सदियाँ लेती जो महामारी ने मानवता को मजबूर न किया होता l फिर शेष लोगों ने विपत्ति को