लिखना तो पड़ेगा

#लिखना_पड़ेगा डॉ. श्रीश पाठक Image Source: Newsclick कुछ पुराने प्रबुद्ध चूँकि केवल सकारात्मक ख़बर लिख रहे तो हम जैसे अनाड़ियों को खबर की नकारात्मकता स्पर्श करनी ही होगी। सूचनाओं का लब्बोलुआब कहता है कि चीन के मुद्दे पर दिल्ली लापरवाह निकली है। कब तक वीर जवानों की बहादुरी और शहादतों तले मुँह छिपाता रहेगा दिल्ली दल। क्या यह सूचना नहीं थी कि सीमा पर चीनी पहले ही निर्माण कार्य कर रहे और धीरे-धीरे हमारी ओर कब्जा किए जा रहे? यह टकराव सम्भावित ही था, मार्च में भी आशंका व्यक्त की गई थी, दिल्ली की तैयारी क्या थी? उस निर्मम ठिठुरते तापमान में देश के बहादुर जवान गश्त लगाएंगे, देखेंगे कि कहीं कोई चीनी तो नहीं है आसपास, एक इंच भी वह भीतर तो नहीं बढ़ गया और अगर उन्हें चीनी दिखायी पड़ते हैं, उनपर वीभत्स आक्रमण करते हैं तो वह हथियार होने के बावजूद 1996 और 2005 के द्विपक्षीय समझौते के हिसाब से उसे इस्तेमाल नहीं करेंगे - ये निर्देश हैं दिल्ली से जयशंकर जी के? चीनी सैनिकों की हलचल की सूचना तो रही ही होगी, आज के ज़माने में चीजें सहसा नहीं होतीं। आपातकाल के लिए कुछ तो निर्देश रहे होंगे? पहले 3 फिर 20 जवान