प्रखर दैनंदिनी: 25 July 2020

25 July 2020 Prakhar Dainandini पहली-पहल जब ध्यान से विश्व का मैप देखा तो अफ्रीका का मैप देख अच्छा लगा था. पुरे विश्व के मैप पर बेढंगी लाइनें बिखरी हुई थीं, और यहाँ अफ्रीका के मैप में कुछ सीधी रेखाएं तो दिखीं. मन हुआ था कि काश दुनिया के देश ऐसे ही होते. धीरे-धीरे जाना कि ये रेखाएं जीवित हैं, इन पर लोगों की जिंदगी निर्भर है. सीधी रेखाएं तो अभिशाप हैं, उपनिवेशवाद और गुलामी की त्रासदी की प्रतीक, वहीं टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएँ मानव की गतिकता को समाहित करती हैं, स्वीकार करती हैं बल्कि उन्हीं की परिणाम हैं. Image Source: On the World Map अक्सर जब ठहरकर सोचता हूँ, तो खुद को उधेड़बुन में पाता हूँ. आसपास चीजें कितनी गुथी-मुथी हुई हैं. शायद ही किसी कि जिंदगी इतनी सपाट होती हो कि सब कुछ बस सफ़ेद और काले में बंटा हुआ हो. बहुत मन करता है कि काश चीजें सारी एकदम सुलझी हुई हों. अभी तो पीछे मुड़कर देखने लगो तो दिखता है कि कितना वक्त गुजर गया, गुजरता जा रहा...! हर वक्त लगता है कि लगाम जैसे अपने हाथ में है, लेकिन जब भी ईमानदारी से मुड़ो पीछे तो लगता है कि नहीं मै तो बस बहे जा रहा. शायद सब को ही भ्रम है कि लगाम उनके