डॉ. श्रीश पाठक महात्मा गाँधी समग्रता के महापुरुष हैं। उनके लिए राष्ट्र की राजनीति, राष्ट्र की कृषि, राष्ट्र की शिक्षा, राष्ट्र का स्वास्थ्य और राष्ट्र का विकास अलग-अलग विषय नहीं थे, ये सभी विषय मिलकर ही देश का स्वराज रचते थे। गांधीजी जो खुद करते थे जब वही करने को कहते थे तो उसमें एक चमत्कारिक प्रभाव उत्पन्न हो उठता था। गाँधीजी का सबसे बड़ा संदेश और अस्त्र सदाग्रह था जिसे सरल कर सत्याग्रह कर दिया गया था। यह सत्याग्रह समग्रता में हैं। वाह्य स्तर पर जहाँ यह शारीरिक पवित्रता पर बल देता है वहीं आंतरिक स्तर पर इसका जोर सत्य की महत्ता पर है। सत्याग्रह अपनी समग्रता में ही एक शक्तिशाली परिवर्तन का वाहक है। शारीरिक पवित्रता के दो महत्वपूर्ण घटक स्वच्छता व स्वावलंबन हैं। स्वच्छता से स्वास्थ्य व शक्ति का गहरा संबंध है। स्वावलंबन के लिए श्रम की महत्ता को अंगीकार करना होगा। स्वच्छता की धारणा शिक्षा से पनपेगी और ऐसी शिक्षाव्यवस्था जो स्वावलंबन हेतु गढ़ी जाएगी वह निश्चित ही अस्पृश्यता सहित सभी सामाजिक विभाजन को समूल नष्ट करेगी। इसप्रकार गाँधी जी के स्वच्छता मुहिम का दर्शन स्वयं में सत्याग्रह की ही कार